
डीके शिवकुमार मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका जस्टिस कांत की बेंच को सौंपी
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीबीआई की याचिका को जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच से जस्टिस कांत की बेंच को स्थानांतरित कर दिया है। यह मामला कर्नाटक में शिवकुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित है, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है।
जस्टिस अभय एस ओका की बेंच ने पहले इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले को जस्टिस कांत की बेंच को सौंपने का फैसला किया। अब जस्टिस कांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
क्या है मामला?
यह मामला 2018 में दर्ज किया गया था जब आयकर विभाग ने डीके शिवकुमार और उनके सहयोगियों के दिल्ली स्थित फ्लैट्स से करोड़ों रुपये की अघोषित संपत्ति जब्त की थी। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया और सीबीआई ने भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अलग से मामला दर्ज किया।
डीके शिवकुमार पर आरोप है कि उन्होंने विभिन्न फर्जी कंपनियों के माध्यम से अवैध रूप से संपत्ति अर्जित की और उसे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए वैध बनाने की कोशिश की। सीबीआई ने कर्नाटक सरकार से शिवकुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी, जिसे बाद में राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी थी।
राजनीतिक निहितार्थ
डीके शिवकुमार कर्नाटक कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता हैं और वर्तमान में राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। विपक्षी दल भाजपा लगातार इस मामले को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है।
इस मामले का परिणाम न केवल डीके शिवकुमार के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेगा बल्कि कर्नाटक की राजनीति पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा। आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई इस मामले में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
आगे क्या?
- जस्टिस कांत की बेंच जल्द ही सीबीआई की याचिका पर सुनवाई शुरू करेगी।
- अदालत सीबीआई से मामले की प्रगति रिपोर्ट मांग सकती है।
- डीके शिवकुमार की कानूनी टीम अपनी बचाव पक्ष को मजबूत करने की कोशिश करेगी।
इस मामले पर आगे की अपडेट के लिए बने रहें।